Din Guzar Gaya Aeitbar Mein Raat Kat Gayii Intezaar Mein. / दिन गुज़र गया ऐतबार में, रात कट गई इन्तज़ार में ।

दिन गुज़र गया ऐतबार में,
रात कट गई इन्तज़ार में ।

वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में,
लुत्फ़ जो मिला इन्तज़ार में ।

उनकी इक नज़र काम कर गई,
होश अब कहाँ होशियार में ।

मेरे कब्ज़े में क़ायनात है,
मैं हूँ आपके इख़्तियार में ।

आँख तो उठी फूल की तरफ़,
दिल उलझ गया हुस्न-ए-ख़ार में ।

तुझसे क्या कहें कितने ग़म सहे,
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में ।

फ़िक्र-ए-आशियाँ हर खिज़ाम की,
आशियाँ जला हर बहार में ।

किस तरह ये ग़म भूल जायें हम,
वो जुदा हुआ इस बहार में ।
  • Fana Nizami Kanpuri.
  • Chitra - Jagjit Singh.