Mili Hawaon Mein Udne Ki Wo Sazaa Yaroon. / मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारों,

मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारों,
के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारों ।

वो बे-ख़याल मुसाफ़िर मैं रास्ता यारों,
कहाँ था बस में मेरे उसको रोकना यारों ।

मेरे कलम पे ज़माने की गर्द ऐसी थी,
के अपने बारे में कुछ भी ना लिख सका यारों ।

तमाम शहर ही जिसकी तलाश में गुम था,
मैं उसके घर का पता किससे पूछता यारों ।
  • Waseem Barelvii.
  • Jagjit Singh - Lata Mangeshkar.