Dialogue & Yeh Na Thi Hamari Kismat Ke Visaal-E-Yaar Hota. - II - Slow. / ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता,

कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं,
इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये ।

वो सब्ज़ा ज़ार हाये मुतर्रा के है ग़ज़ब,
वो नाज़नीं बुतान-ए-ख़ुदआरा के हाये हाये ।

सब्रआज़्मा वो उन की निगाहें के हफ़ नज़र,
ताक़तरूबा वो उन का इशारा के हाये हाये ।
  • Naseeruddin Shah.
तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना,
के ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता ।

ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता ।

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह,
कोई चारासाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता ।

कहूँ किस से मैं के क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता ।
  • Mirza Asadullah Khan 'Ghalib'.
  • Chitra Singh.

  • Complete Ghazal.......
ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता ।

तेरे वादे पर जिये हम तो ये जान झूठ जाना,
के ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता ।

तेरी नाज़ुकी से जाना कि बँधा था अह्दबोदा,
कभी तू न तोड़ सकता अगर उस्तवार होता ।

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को,
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता ।

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह,
कोई चारासाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता ।

रग-ए-सन्ग से टपकता वो लहू कि फिर न थमता,
जिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता ।

ग़म अगर्चे जाँगुसिल है, पे कहाँ बचें के दिल है,
ग़म-ए-इश्क़ गर न होता, ग़म-ए-रोज़गार होता ।

कहूँ किस से मैं के क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है,
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता ।

हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्योँ न ग़र्क़-ए-दरिया,
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मज़ार होता ।

उसे कौन देख सकता कि यगना है वो यक्ता,
जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो चार होता ।

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'ग़ालिब',
तुझे हम वली समझते, जो न बादाख़्वार होता ।

  • Complete Ghazal.......
कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं,
इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये ।

वो सब्ज़ा ज़ार हाये मुतर्रा के है ग़ज़ब,
वो नाज़नीं बुतान-ए-ख़ुदआरा के हाये हाये ।

सब्रआज़्मा वो उन की निगाहें के हफ़ नज़र,
ताक़तरूबा वो उन का इशारा के हाये हाये ।

वो मेवा हाये ताज़ा-ए-शीरीं के वाह वाह,
वो बादा हाये नाब-ए-गवारा के हाये हाये ।