Aankhon Mein Jal Raha Hai Kyun Bujhata Nahi Dhuan. / आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुँआ,
आँखों में जल रहा है क्यूँ बुझता नहीं धुँआ,
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुँआ ।
चूल्हें नहीं जलाए या बस्ती ही जल गयी,
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुँआ ।
आँखों के पोंछने से लगा आँच का पता,
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुँआ ।
आँखों से आँसू के मरासिम पुराने हैं,
मेहमान ये घर में आयें तो चुभता नहीं धुँआ ।
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुँआ ।
चूल्हें नहीं जलाए या बस्ती ही जल गयी,
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुँआ ।
आँखों के पोंछने से लगा आँच का पता,
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुँआ ।
आँखों से आँसू के मरासिम पुराने हैं,
मेहमान ये घर में आयें तो चुभता नहीं धुँआ ।
- Gulzar.
- Jagjit Singh.