Woh Firaaq Aur Woh Vishal Kahan Wo Shab-O-Roz-O-Maah-O-Saal Kahan. / वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ ? वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ ?

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ ?
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ ?

थी वो इक शख्स के तसव्वुर से,
अब वो राँनाई-ए-ख़याल कहाँ ?

ऐसा आसाँ नहीं लहू रोना,
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ ?

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ ?
  • Mirza Asadullah Khan 'Ghalib'.
  • Jagjit Singh.

  • Complete Ghazal......
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ ?
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ ?

फ़ुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे,
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा-ए-जमाल कहाँ ?

दिल तो दिल वो दिमाग़ भी न रहा,
शोर-ए-सौदा-ए-ख़त-ओ-ख़ाल कहाँ ?

थी वो इक शख्स के तसव्वुर से,
अब वो राँनाई-ए-ख़याल कहाँ ?

ऐसा आसाँ नहीं लहू रोना,
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ ?

हमसे चूटा क़िमारख़ाना-ए-इश्क़,
वाँ जो जायेँ गिरह में माल कहाँ ?

फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ ?

मुज़महिल हो गये क़ुवा 'ग़ालिब',
वो अनासिर में ऐतदाल कहाँ ?