Dost Ghamkhware Mein Mere Sayee Farmawenge Kya? / दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मावेंगे क्या ?

दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मावेंगे क्या ?
ज़ख़्म के भरने तलक नाख़ून न बढ़ जावेंगे क्या ?

हज़रत-ए-नासेह गर आयें दीदा-ओ-दिल फ़र्श-ए-राह,
कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या ?

गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यों सही,
ये जुनून-ए-इश्क़ के अन्दाज़ छुट जावेंगे क्या ?

ख़ाना ज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ हैं ज़न्जीर से भागेंगे क्या,
हैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा ज़िन्दाँ से घबरावेंगे क्या ?

है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद',
हम ने ये माना कि दिल्ली में रहे खावेंगे क्या ?
  • Mirza Asadullah Khan 'Ghalib'.
  • Jagjit Singh.

  • Complete Ghazal.....
दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सई फ़र्मावेंगे क्या ?
ज़ख़्म के भरने तलक नाख़ून न बढ़ जावेंगे क्या ?

बेनियाज़ी हद से गुज़री बन्दा परवर कब तलक,
हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़र्मावेंगे क्या ?

हज़रत-ए-नासेह गर आयें दीदा-ओ-दिल फ़र्श-ए-राह,
कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या ?

आज वाँ तेग़-ओ-कफ़न बाँधे हुए जाता हूँ मैं,
उज़्र मेरा क़त्ल करने में वो अब लावेंगे क्या ?

गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यों सही,
ये जुनून-ए-इश्क़ के अन्दाज़ छुट जावेंगे क्या ?

ख़ाना ज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ हैं ज़न्जीर से भागेंगे क्या,
हैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा ज़िन्दाँ से घबरावेंगे क्या ?

है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद',
हम ने ये माना कि दिल्ली में रहे खावेंगे क्या ?