Dil Hi To Hai Na Sang-O-Khisht Dard Se Bhar Na Aaye Kyun. / दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यूँ ?

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यूँ ?
रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यूँ ?

दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं,
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाये क्यूँ ?

क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं,
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाये क्यूँ ?

हाँ वो नहीं ख़ुदापरस्त, जाओ वो बेवफ़ा सही,
जिसको हो दीन-ओ-दिल अज़ीज़, उसकी गली में जाये क्यूँ ?

'गा़लिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं,
रोईए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाये-हाये क्यूँ ?
  • Mirza Asadullah Khan 'Ghalib'.
  • Jagjit Singh.
  • Chitra Singh.

  • Complete Ghazal......
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यूँ ?
रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यूँ ?

दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं,
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाये क्यूँ ?

जब वो जमाल-ए-दिलफ़रोज़, सूरत-ए-मेह्र-ए-नीमरोज़,
आप ही हो नज़ारासोज़, पर्दे में मुँह छुपाये क्यूँ ?

दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँसिताँ, नावक-ए-नाज़ बेपनाह,
तेरा ही अक्स-ए-रुख़ सही, सामने तेरे आये क्यूँ ?

क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं,
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाये क्यूँ ?

हुस्न और उस पे हुस्न-ए-ज़न रह गई बुलहवस की शर्म,
अपने पे एतिमाद है ग़ैर को आज़माये क्यूँ ?

वाँ वो ग़ुरूर-ए-इज़्ज़-ओ-नाज़ याँ ये हिजाब-ए-पास वज़अ,
राह में हम मिलें कहाँ, बज़्म में वो बुलाये क्यूँ ?

हाँ वो नहीं ख़ुदापरस्त, जाओ वो बेवफ़ा सही,
जिसको हो दीन-ओ-दिल अज़ीज़, उसकी गली में जाये क्यूँ ?

'गा़लिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं,
रोईए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाये-हाये क्यूँ ?