Phir Se Mausan Baharon Ka Aane Ko Hai Phir Se Rang-E-Zamana. / फिर से मौसम बहारों का आने को है,
फिर से मौसम बहारों का आने को है, फिर से रंग-ए-ज़माना बदल जाएगा,
अब के बज़्म-ए-चराग़ाँ सजा लेंगे हम, ये भी अरमान दिल का निकल जाएगा ।
आप कर दें जो मुझ पर निगाह-ए-करम, मेरी उल्फ़त का रह जाएगा कुछ भरम,
यूँ फ़साना तो मेरा रहेगा वहीं, सिर्फ़ उन्वान उसका बदल जाएगा ।
फ़िकी फ़िकी सी क्यूँ शाम-ए-मैख़ाना है, लुत्फ़-ए-साक़ी भी कम खाली पैमाना है,
अपनी नज़रों से ही कुछ पिला दिजीये, रंग महफ़िल का ख़ुद ही बदल जाएगा ।
मेरे मिटने का उनको ज़रा ग़म नहीं, ज़ुल्फ़ भी उनकी ऐ दोस्त बरहम नहीं,
अपने होने ना होने से होता है क्या, काम दुनिया का यूँ ही तो चला जाएगा ।
आपने दिल जो ‘ज़ाहिद’ का तोड़ा तो क्या, आपने उसकी दुनिया को छोड़ा तो क्या,
आप इतने तो आख़िर परेशान न हो, वो सम्भलते सम्भलते सम्भल जाएगा ।
अब के बज़्म-ए-चराग़ाँ सजा लेंगे हम, ये भी अरमान दिल का निकल जाएगा ।
आप कर दें जो मुझ पर निगाह-ए-करम, मेरी उल्फ़त का रह जाएगा कुछ भरम,
यूँ फ़साना तो मेरा रहेगा वहीं, सिर्फ़ उन्वान उसका बदल जाएगा ।
फ़िकी फ़िकी सी क्यूँ शाम-ए-मैख़ाना है, लुत्फ़-ए-साक़ी भी कम खाली पैमाना है,
अपनी नज़रों से ही कुछ पिला दिजीये, रंग महफ़िल का ख़ुद ही बदल जाएगा ।
मेरे मिटने का उनको ज़रा ग़म नहीं, ज़ुल्फ़ भी उनकी ऐ दोस्त बरहम नहीं,
अपने होने ना होने से होता है क्या, काम दुनिया का यूँ ही तो चला जाएगा ।
आपने दिल जो ‘ज़ाहिद’ का तोड़ा तो क्या, आपने उसकी दुनिया को छोड़ा तो क्या,
आप इतने तो आख़िर परेशान न हो, वो सम्भलते सम्भलते सम्भल जाएगा ।
- Jagjit Singh.
- Zahid.