Bas Ek Waqt Ka Khanjar Meri Talaash Mein Hai. / बस एक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है,
बस एक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज़ भेष बदल कर मेरी तलाश में है ।
मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है ।
मैं देवता की तरह क़ैद अपने मन्दिर में,
वो मेरे जिस्म के बाहर मेरी तलाश में है ।
मैं जिसके हाथ में एक फूल देके आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है ।
जो रोज़ भेष बदल कर मेरी तलाश में है ।
मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है ।
मैं देवता की तरह क़ैद अपने मन्दिर में,
वो मेरे जिस्म के बाहर मेरी तलाश में है ।
मैं जिसके हाथ में एक फूल देके आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है ।
- Jagjit Singh.
- Krishan Bihari Noor.