Koi Dost Hai Na Raqeeb Hai Tera Sheher Kitna Ajeeb Hai.

कोई दोस्त है ना रक़ीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है ।

वो जो इश्क़ था वो जुनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है ।

यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करूँ,
यहाँ कौन इतना क़रीब है ।

मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहाँ सबके सर पे सलीब है ।

तुझे देखकर मैं हूँ सोचता,
तू हबीब है या रक़ीब है ।
  • Jagjit Singh.
  • Rana Sahri.