Koi Dost Hai Na Raqeeb Hai Tera Sheher Kitna Ajeeb Hai.
कोई दोस्त है ना रक़ीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है ।
वो जो इश्क़ था वो जुनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है ।
यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करूँ,
यहाँ कौन इतना क़रीब है ।
मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहाँ सबके सर पे सलीब है ।
तुझे देखकर मैं हूँ सोचता,
तू हबीब है या रक़ीब है ।
तेरा शहर कितना अजीब है ।
वो जो इश्क़ था वो जुनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है ।
यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करूँ,
यहाँ कौन इतना क़रीब है ।
मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहाँ सबके सर पे सलीब है ।
तुझे देखकर मैं हूँ सोचता,
तू हबीब है या रक़ीब है ।
- Jagjit Singh.
- Rana Sahri.