Kabhi Khamosh Baithoge Kabhi Kuch Gungunaoge. / कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,

कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भूलाओगे ।

कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे,
बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे ।

कभी दुनिया मुक्कमल बनके आएगी निगाहों में,
कभी मेरी कमी दुनिया की हर एक शै में पाओगे ।

कहीं पर भी रहें हम तुम मोहब्बत फिर मोहब्बत है,
तुम्हें हम याद आऐंगे हमें तुम याद आओगे ।
  • Jagjit Singh.
  • Nazeer Banarasi.