Hari Bin Kaun Sahaayi Man Ka Mata Pita Bhai Sut Banta. / हरि बिन कौन सहाई मन का,
हरि बिन कौन सहाई मन का ।
मात पिता भाई सुत बनता, हित लागो सब फ़न का ।
आगे का किछु तूल्हा बांधो, क्या भरवासा थन का ।
कह बिसासा इस भांड़े का, इत नक लागे ठन का ।
सगल धरम पूंगे फल पावो, धूर बांचो सब जन का ।
कहै कबीर सुनो रे संतो, ऐहे मन उड़े पखेरू बन का ।
मात पिता भाई सुत बनता, हित लागो सब फ़न का ।
आगे का किछु तूल्हा बांधो, क्या भरवासा थन का ।
कह बिसासा इस भांड़े का, इत नक लागे ठन का ।
सगल धरम पूंगे फल पावो, धूर बांचो सब जन का ।
कहै कबीर सुनो रे संतो, ऐहे मन उड़े पखेरू बन का ।
- Jagjit Singh.
- Kabir.