Dohe. / दोहे
दुख में सुमरन सब करे, सुख में करे ना कोए,
जो सुख में सुमरन करे, दुख काहे को होए ।
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए,
औरों को शीतल करे, आपो शितल होए ।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर,
पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ।
दुर्लभ मानुष जनम है, होए न दूजी बार,
पक्का फल जो गिर पड़ा, लगे ना दूजी बार ।
मांगन मरन समान है, मत मांगो कोई भीख,
मांगन से मरना भला, ये सतगुरू की सीख ।
काशी काबा एक है, एक है राम रहीम,
मैदा एक पकवान बहु, बैठ कबीरा जीम ।
अच्छे दिन पीछे गए, हर से किया ना हेत,
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ीया चुग गई खेत ।
जो सुख में सुमरन करे, दुख काहे को होए ।
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए,
औरों को शीतल करे, आपो शितल होए ।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर,
पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ।
दुर्लभ मानुष जनम है, होए न दूजी बार,
पक्का फल जो गिर पड़ा, लगे ना दूजी बार ।
मांगन मरन समान है, मत मांगो कोई भीख,
मांगन से मरना भला, ये सतगुरू की सीख ।
काशी काबा एक है, एक है राम रहीम,
मैदा एक पकवान बहु, बैठ कबीरा जीम ।
अच्छे दिन पीछे गए, हर से किया ना हेत,
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ीया चुग गई खेत ।
- Jagjit Singh.
- Kabir.