Apne Karam Kii Gati Main Kya Janu Main Kya Janu Baba Re. / अपने करम की गति मैं क्या जानूँ, मैं क्या जानूँ बाबा रे,
अपने करम की गति मैं क्या जानूँ, मैं क्या जानूँ बाबा रे ।
नर मरै किछु काम न आवे, पसु मरै दस काज संवारे ।
हाड़ जलै जैसे लकड़ी का तूला, केस जलै जैसे गास का पूला ।
कहै कबीर तब ही नर जागै, जम का ड़ंड़ मुंड़ में लागै ।
नर मरै किछु काम न आवे, पसु मरै दस काज संवारे ।
हाड़ जलै जैसे लकड़ी का तूला, केस जलै जैसे गास का पूला ।
कहै कबीर तब ही नर जागै, जम का ड़ंड़ मुंड़ में लागै ।
- Jagjit Singh.
- Kabir.