Tabiyat In Dinon Begana-E-Gham Hoti Jaati Hai.
तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है,
मेरे हिस्से की गोया हर खुशी कम होती जाती है ।
क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दोआलम होती जाती है,
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है ।
वही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है,
वही है शम्मा लेकिन रोशनी कम होती जाती है ।
वही है ज़िन्दगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना,
के जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है ।
मेरे हिस्से की गोया हर खुशी कम होती जाती है ।
क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दोआलम होती जाती है,
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है ।
वही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है,
वही है शम्मा लेकिन रोशनी कम होती जाती है ।
वही है ज़िन्दगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना,
के जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है ।
- Vinod Sehgal.
- Jigar Moradabadi.