Aye Watan Mere Watan Rooh-E-Ravaanii-E-Aeharaab.

ऐ वतन मेरे वतन रूह-ए-रवानी-ए-एहराब,
ऐ के ज़र्रों में तेरे बू-ए-चमन रंग-ए-बहार,
रेज़े अल्मास के तेरे खस-ओ-ख़ाशाक़ में हैं,
हड़्ड़ियाँ अपने बुज़ुर्गों की तेरी ख़ाक में हैं,
तुझसे मुँह मोड़ के मुँह अपना दिखायेंगे कहाँ,
घर जो छोड़ेंगे तो फिर छाँव निछायेंगे कहाँ,
बज़्म-ए-अग़यार में आराम ये पायेंगे कहाँ,
तुझसे हम रूठ के जायें भी तो जायेंगे कहाँ ।
  • Jagjit Singh.
  • Josh Malihabadi.