Sabse Oochi Prem Sagai Sabse Oochi Prem Sagai.
सबसे ऊँची प्रेम सगाई, सबसे ऊँची प्रेम सगाई ॥
दुर्योधन को मेवा त्याग्यो, साग बिदुर घर पाई ॥
झूठे फल सबरी के खाए, बहु बिद प्रेम लगाई ॥
प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो, भूल गए ठकुराई ॥
ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन, गोपीन नाच नचाई ॥
सुर क्रुर इस लायक नाहीं, कहलद करे बड़ाई ॥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा, रामा रामा हरे हरे ।
दुर्योधन को मेवा त्याग्यो, साग बिदुर घर पाई ॥
झूठे फल सबरी के खाए, बहु बिद प्रेम लगाई ॥
प्रेम के बस अर्जुन रथ हांक्यो, भूल गए ठकुराई ॥
ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन, गोपीन नाच नचाई ॥
सुर क्रुर इस लायक नाहीं, कहलद करे बड़ाई ॥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे रामा हरे रामा, रामा रामा हरे हरे ।
- Surdas.
- Chitra - Jagjit Singh.
- Jagjit Singh.