Be Sabab Baat Badhane Kii Zarurat Kya Hai Hum Khafa.

बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है,
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है ।

आपके दम से तो दुनिया का भरम है कायम,
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है ।

तेरा कूचा तेरा दर तेरी गली काफ़ी हैं,
बेठिकानो को ठिकाने की ज़रूरत क्या है ।

दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में,
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है ।

रंग आँखों के लिये बू है दिमागों के लिये,
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है ।
  • Shahid Kabir.
  • Jagjit Singh.