Dair-O-Haram Mein Basne Wale Maikhano Mein Foot Na.
दैर-ओ-हरम में बसने वालों,
मैख़ानों में फूट ना ड़ालों ।
तूफ़ान से हम टकरायेंगे,
तुम अपनी कश्ती को सम्भालो ।
मैख़ाने में आए वाइज़,
इनको भी इन्सान बना लो ।
आरिज़-ओ-लब सादा रहने दो,
ताज-महल पे रंग ना ड़ालों ।
मैख़ानों में फूट ना ड़ालों ।
तूफ़ान से हम टकरायेंगे,
तुम अपनी कश्ती को सम्भालो ।
मैख़ाने में आए वाइज़,
इनको भी इन्सान बना लो ।
आरिज़-ओ-लब सादा रहने दो,
ताज-महल पे रंग ना ड़ालों ।
- Khamosh Ghazipuri.
- Jagjit Singh.