Ye Kaisi Mohabbat Kahan Ke Fasane Ke Peene Pilane Ke.
ये कैसी मोहब्बत कहाँ के फसाने,
ये पीने पीलाने के सब हैं बहाने ।
वो दामन हो उनका के सुनसान सहरा,
बस हमको तो आख़िर हैं आँसू बहाने ।
ये किसने मुझे मस्त नज़रों से देखा,
लगे खुद-ब-खुद ही क़दम लड़-खड़ाने ।
चलो तुम भी ‘गुमनाम’ अब मयकदे में,
तुम्हें दफ़्न करने हैं कई ग़म पुराने ।
ये पीने पीलाने के सब हैं बहाने ।
वो दामन हो उनका के सुनसान सहरा,
बस हमको तो आख़िर हैं आँसू बहाने ।
ये किसने मुझे मस्त नज़रों से देखा,
लगे खुद-ब-खुद ही क़दम लड़-खड़ाने ।
चलो तुम भी ‘गुमनाम’ अब मयकदे में,
तुम्हें दफ़्न करने हैं कई ग़म पुराने ।
- Surender Malik 'Gumnam'.
- Jagjit Singh.