Ulfat Ka Jab Kisi Ne Liya Naam Ro Pade Apni Wafa Ka.
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े,
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े ।
हर शाम ये सवाल मोहब्बत से क्या मिला,
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े ।
राह-ए-वफ़ा में हमको खुशी की तलाश थी,
दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े ।
रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला,
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े ।
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े ।
हर शाम ये सवाल मोहब्बत से क्या मिला,
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े ।
राह-ए-वफ़ा में हमको खुशी की तलाश थी,
दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े ।
रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला,
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े ।
- Sudarshan Faakir.
- Jagjit Singh.