Har Ek Ghar Mein Diya Bhi Jale Anaaj Bhi Ho Agar Na Ho.

हर एक घर में दीया भी जले अनाज भी हो,
अगर ना हो कहीं ऐसा तो एहितयाज भी हो ।

हुकूमतों को बदलना तो कुछ मुहाल नहीं,
हुकूमतें जो बदलता है वो समाज भी हो ।

रहेगी कब तलक़ वादों में कै़द खुशहाली,
हर एक बार ही कल क्यूँ कभी आज भी हो ।

ना करते शोर शराबा तो और क्या करते,
तुम्हारे शहर में कुछ और कामकाज भी हो ।
  • Nida Fazli.
  • Jagjit Singh.