Benaam Sa Ye Dard Thehar Kyun Nahi Jaata Jo Beet.
बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता ।
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता ।
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता ।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा,
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता ।
वो नाम जो बरसो से ना चेहरा ना बदन है,
वो ख़्वाब अगर है तो बिखर क्यूँ नहीं जाता ।
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता ।
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता ।
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता ।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा,
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता ।
वो नाम जो बरसो से ना चेहरा ना बदन है,
वो ख़्वाब अगर है तो बिखर क्यूँ नहीं जाता ।
- Nida Fazli.
- Jagjit Singh.