Chitthi Na Koi Sandesh Jaane Wo Kaun Sa Desh.
चिट्ठी ना कोई सन्देस, जाने वो कोन सा देस, जहाँ तुम चले गये,
इस दिल पे लगा के ठेस, जाने वो कोन सा देस, जहाँ तुम चले गये ।
एक आह भरी होगी, हमने ना सुनी होगी,
जाते जाते तुमने, आवाज़ तो दी होगी ।
हर वक़्त यही हैं ग़म,
उस वक़्त कहाँ थे हम,
कहाँ तुम चले गये ।
हर चीज़ पे अश्क़ों से, लिखा है तुम्हारा नाम,
ये रस्ते घर गलियां, तुम्हें कर ना सके सलाम ।
हाय दिल में रह गयी बात,
जल्दी से छुड़ा कर हाथ,
कहाँ तुम चले गये ।
अब यादों के काटें, इस दिल में चुभते हैं,
ना दर्द ठहरता है, ना आँसू रूकते हैं ।
तुम्हें ढूँढ रहा है प्यार,
हम कैसे करें इक़रार,
कहाँ तुम चले गये ।
इस दिल पे लगा के ठेस, जाने वो कोन सा देस, जहाँ तुम चले गये ।
एक आह भरी होगी, हमने ना सुनी होगी,
जाते जाते तुमने, आवाज़ तो दी होगी ।
हर वक़्त यही हैं ग़म,
उस वक़्त कहाँ थे हम,
कहाँ तुम चले गये ।
हर चीज़ पे अश्क़ों से, लिखा है तुम्हारा नाम,
ये रस्ते घर गलियां, तुम्हें कर ना सके सलाम ।
हाय दिल में रह गयी बात,
जल्दी से छुड़ा कर हाथ,
कहाँ तुम चले गये ।
अब यादों के काटें, इस दिल में चुभते हैं,
ना दर्द ठहरता है, ना आँसू रूकते हैं ।
तुम्हें ढूँढ रहा है प्यार,
हम कैसे करें इक़रार,
कहाँ तुम चले गये ।
- Anand Bakshi.
- Jagjit Singh.
- Lata Mangeshkar.