Aye Khuda Ret Ke Sehra Ko Samandar Kar De.
ऐ ख़ुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे,
या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे ।
तुझको देखा नहीं महसूस किया है मैंने,
आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर कर दे ।
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन,
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे ।
या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर कर दे ।
तुझको देखा नहीं महसूस किया है मैंने,
आ किसी दिन मेरे एहसास को पैकर कर दे ।
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन,
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे ।
- Shahid Meer.
- Jagjit Singh.