Chaurahe Par Luta Cheer, Pyade Se Pit Gaya Vazeer. / चौराहे पर लुटा चीर, प्यादे से पिट गया वज़ीर,
अटल बिहारी वाजपेयी :- जो कल थे वे आज नहीं हैं, जो आज हैं कल नहीं होंगे, होने ना होने का क्रम यूँ ही चलता रहेगा, हम हैं हम रहेंगे, ये भ्रम भी सदा पलता रहेगा । सत्य क्या है, होना या न होना, या दोनो ही सत्य है, जो है उसका होना सत्य है, जो नहीं है, उसका न होना सत्य है । मुझे लगता है के होना ना होना, दोना एक ही सत्य के दो अयाम हैं, शेष सब समझ के भेद, बुद्धी के व्यायाम हैं ।
चौराहे पर लुटा चीर,
प्यादे से पिट गया वज़ीर,
चलूँ आख़री चाल के बाजी,
छोड़ विरक्ति रचाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
सपना जन्मा और मर गया,
मधु रितु में बाग झड़ गया,
तिनके बिखरे हुए बटोरूँ,
या नव सृष्टि सजाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
दो दिन मिले उधार में,
घाटे के व्यापार में,
क्षण-क्षण का हिसाब जोडू मैं,
या पूंजी शेष लुटाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
चौराहे पर लुटा चीर,
प्यादे से पिट गया वज़ीर,
चलूँ आख़री चाल के बाजी,
छोड़ विरक्ति रचाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
सपना जन्मा और मर गया,
मधु रितु में बाग झड़ गया,
तिनके बिखरे हुए बटोरूँ,
या नव सृष्टि सजाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
दो दिन मिले उधार में,
घाटे के व्यापार में,
क्षण-क्षण का हिसाब जोडू मैं,
या पूंजी शेष लुटाऊँ मैं,
राह कौन सी जाऊँ मैं ।
- Atal Bihari Vajpayee.
- Jagjit Singh.