Saach Yeh Hai Bekaar Humein Gham Hota Hai. / सच ये है बेकार हमें ग़म होता है,
सच ये है बेकार हमें ग़म होता है,
जो चाहा था दुनिया में कम होता है ।
ढ़लता सूरज फ़ैला जंगल रास्ता गुम,
हमसे पूछो कैसा आलम होता है ।
ग़ैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की,
जब होता है कोई हमदम होता है ।
ज़ख़्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं,
लोगों से सुनते हैं मर्हम होता है ।
ज़हन की शाखों पर अश्आर आ जाते हैं,
जब तेरी यादों का मौसम होता है ।
जो चाहा था दुनिया में कम होता है ।
ढ़लता सूरज फ़ैला जंगल रास्ता गुम,
हमसे पूछो कैसा आलम होता है ।
ग़ैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की,
जब होता है कोई हमदम होता है ।
ज़ख़्म तो हमने इन आँखों से देखे हैं,
लोगों से सुनते हैं मर्हम होता है ।
ज़हन की शाखों पर अश्आर आ जाते हैं,
जब तेरी यादों का मौसम होता है ।
- Javed Akhtar.
- Jagjit Singh.