Dil Tarasta Hai Ab Zindagi Ke Liye, Ek Khalish Dil Ki Ye Kya Se Kya Kar Gayii. / दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिये । एक ख़लिश की ये क्या से क्या कर गई,

एक ख़लिश की ये क्या से क्या कर गई,
खुशियों की आँख में बारिशें भर गई,
लोग अपनो से भी बे-ख़बर हो गये,
खुश्बूयें छूल के शोख़ में खो गये,
पा के जुग्नू ज़रा रोशनी के लिये,
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिये ।

सूर्ख़ फूलों के जो नर्म साये मिले,
अपनो की शक़्ल में जो पराये मिले,
इन के पीछे ज़रा सोच के भागिये,
कच्चे रंगो की है तितलियाँ देखिये,
एक पल ही मिला था खुशी के लिये,
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिये ।

एक ख़्वाहिश में थी सैकड़ों आंधियाँ,
पल में बिखरे सभी रिश्तो के आशियाँ,
प्यासे लब का यही सब को हासिल मिला,
जुस्तजू दरिया थी खुश्क़ साहिल मिला,
खो के नींदे किसी अजनबी के लिये,
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिये ।
  • Jagjit Singh.