Mera Jeevan Teri Sharan Saare Raag Viraag Hue Ab. / मेरा जीवन तेरी शरण, सारे राग विराग हुए अब,
मेरा जीवन तेरी शरण,
सारे राग विराग हुए अब,
मोह सारे त्याग हुए अब,
एक यही मेरा बंधन ।
अविरत रहा भटकता अब तक,
भटकूँ और अभी मैं कब तक,
पा लू केवल तुझको ही माँ,
एक यही मेरी है लगन ।
तेरे चरणों पर हो अर्पण,
मेरे जीवन के गुण-अवगुण,
सारी व्याथाऐं दूर करो माँ,
हो कुसमित मेरा नंदन ।
सारे राग विराग हुए अब,
मोह सारे त्याग हुए अब,
एक यही मेरा बंधन ।
अविरत रहा भटकता अब तक,
भटकूँ और अभी मैं कब तक,
पा लू केवल तुझको ही माँ,
एक यही मेरी है लगन ।
तेरे चरणों पर हो अर्पण,
मेरे जीवन के गुण-अवगुण,
सारी व्याथाऐं दूर करो माँ,
हो कुसमित मेरा नंदन ।
- Jagjit Singh.