Na Keh Saaqi Bahar Aane Ke Din Hain Jigar Ke Daag.
न कह साक़ी बहार आने के दिन हैं,
जिगर के दाग़ छिल जाने के दिन हैं ।
अदा सी खूब अदा आने के दिन हैं,
अभी तो दूर शर्माने के दिन हैं ।
गरेबाँ ढूँढते हैं हाथ मेरे,
चमन में फूल खिल जाने के दिन हैं ।
तुम्हें राज़-ए-मोहब्बत क्या बतायें,
तुम्हारे खेलने खाने के दिन हैं ।
घटायें उदी उदी कह रही हैं,
मय-ए-अँगूर खिचवाने के दिन हैं ।
जिगर के दाग़ छिल जाने के दिन हैं ।
अदा सी खूब अदा आने के दिन हैं,
अभी तो दूर शर्माने के दिन हैं ।
गरेबाँ ढूँढते हैं हाथ मेरे,
चमन में फूल खिल जाने के दिन हैं ।
तुम्हें राज़-ए-मोहब्बत क्या बतायें,
तुम्हारे खेलने खाने के दिन हैं ।
घटायें उदी उदी कह रही हैं,
मय-ए-अँगूर खिचवाने के दिन हैं ।
- Bekhud Dehlvi.
- Jagjit Singh.