Aye Kaash Wo Kisi Din Tanhaiyon Mein Aayein Unko Ye.

ऐ काश वो किसी दिन तन्हाईयों में आयें,
उनको ये राज़े-दिल हम महफ़िल में क्या बतायें ।

लगता है ड़र उन्हें तो हमराज़ ले के आयें,
जो पूछना है पूछे कहना है जो सुनायें,
तौबा हमारी हमदम उन्हें हाथ भी लगायें,
ऐ काश वो किसी दिन तन्हाईयों में आयें ।

उन्हें इश्क़ अगर न होता पल्कें नहीं झुकाते,
गालों पे शोख़ बादल जुल्फ़ों के ना गिराते,
करदे न क़त्ल हमको मासूम ये अदायें,
ऐ काश वो किसी दिन तन्हाईयों में आयें ।
  • Jagjit Singh.