Aap Se Gila Aap Ki Kasam Sochte Rahe Kar Sake Na Hum.
आप से गिला आप की क़सम,
सोचते रहे कर सके न हम ।
उसकी क्या ख़ता ला-दवा है ग़म,
क्यूँ गिला करे चाराग़र से हम ।
ये नवाज़िशे और ये करम,
फ़र्त-ए-शौक़ से मर न जाए हम ।
खेंचते रहे उम्र भर मुझे,
इक तरफ़ खुदा इक तरफ़ सनम ।
ये अगर नहीं यार की गली,
चलते चलते क्यूँ रूक गए क़दम ।
सोचते रहे कर सके न हम ।
उसकी क्या ख़ता ला-दवा है ग़म,
क्यूँ गिला करे चाराग़र से हम ।
ये नवाज़िशे और ये करम,
फ़र्त-ए-शौक़ से मर न जाए हम ।
खेंचते रहे उम्र भर मुझे,
इक तरफ़ खुदा इक तरफ़ सनम ।
ये अगर नहीं यार की गली,
चलते चलते क्यूँ रूक गए क़दम ।
- Saba Sikri.
- Jagjit Singh.