Paseene Paseene Hue Ja Rahe Ho Ye Bolo Kahan Se.
पसीने पसीने हुए जा रहे हो,
ये बोलो कहाँ से चले आ रहे हो ।
हमें सब्र करने को कह तो रहे हो,
मगर देख लो ख़ुद ही घबरा रहे हो ।
ये किसकी बुरी तुम को नज़र लग गई है,
बहारों के मौसम में मुर्झा रहे हो ।
ये आईना है ये तो सच ही कहेगा,
क्यों अपनी हक़ीक़त से कतरा रहे हो ।
ये बोलो कहाँ से चले आ रहे हो ।
हमें सब्र करने को कह तो रहे हो,
मगर देख लो ख़ुद ही घबरा रहे हो ।
ये किसकी बुरी तुम को नज़र लग गई है,
बहारों के मौसम में मुर्झा रहे हो ।
ये आईना है ये तो सच ही कहेगा,
क्यों अपनी हक़ीक़त से कतरा रहे हो ।
- Saeed Rahi.
- Chitra Singh.