Hari Tum Haro Jan Ki Peer Hari Tum Haro Jan Ki Peer.
हरि तुम हरो जन की पीर ।
द्रोपदी की लाज राखी तुम बढायो चीर ॥
भक्त कारन रूप नरहरि धरयो आप शरीर ।
हिरन्यकश्यप मार लीन्हो धरयो नाहि न धीर ॥
बूढत गजराज राखयो कियो बाहर नीर ।
दासी मीरा लाल गिरधर दुख जहाँ तहाँ पीर ॥
द्रोपदी की लाज राखी तुम बढायो चीर ॥
भक्त कारन रूप नरहरि धरयो आप शरीर ।
हिरन्यकश्यप मार लीन्हो धरयो नाहि न धीर ॥
बूढत गजराज राखयो कियो बाहर नीर ।
दासी मीरा लाल गिरधर दुख जहाँ तहाँ पीर ॥
- Meera.
- Jagjit Singh.