Apne Hothon Per Sajana Chahta Hoon Aa Tujhe Main.
अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ,
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर,
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ ।
थक गया मैं करते करते याद तुझको,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ ।
छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा,
रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ ।
आख़िरी हिचकी तेरे ज़ानो पे आए,
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ ।
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ ।
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर,
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ ।
थक गया मैं करते करते याद तुझको,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ ।
छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा,
रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ ।
आख़िरी हिचकी तेरे ज़ानो पे आए,
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ ।
- Qateel Shifai.
- Jagjit Singh.