Tera Chehra Kitna Suhana Lagta Hai Tere Aage Chand.
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है,
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है ।
तिरछे तिरछे तीर नज़र के आते हैं,
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता हैं ।
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है ।
माशुक का बुढ़ापा लज़्ज़त दिला रहा है,
अंगुर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है ।
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है,
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है ।
तुझसे मिलके ईमली मिठी लगती है,
तुझसे बिछड़ के शहद भी खारा लगता है ।
तेरे आगे चाँद बेचारा लगता है ।
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है ।
तिरछे तिरछे तीर नज़र के आते हैं,
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता हैं ।
आग का क्या है पल दो पल में लगती है,
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है ।
माशुक का बुढ़ापा लज़्ज़त दिला रहा है,
अंगुर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है ।
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है,
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है ।
तुझसे मिलके ईमली मिठी लगती है,
तुझसे बिछड़ के शहद भी खारा लगता है ।
तेरे आगे चाँद बेचारा लगता है ।
- Kaif Bhopali.
- Jagjit Singh.