Jab Bhi Tanhai Se Ghabrake Simat Jaate Hain.

जब भी तन्हाई से घबरा के सिमट जाते हैं,
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं ।

उन पे तूफ़ान को भी अफ़सोस हुआ करता है,
वो सफ़िने जो किनारों पे उलट जाते हैं ।

हम तो आए थे राहे साख में फूलों की तरह,
तुम अगर हार समझते हो तो हट जाते हैं ।
  • Sudarshan Faakir.
  • Chitra Singh.