Mere Darwaze Se Ab Chand Ko Rukhsat Kar Do.

मेरे दरवाज़े से अब चाँद को रुख़सत कर दो,
साथ आया है तुम्हारे जो तुम्हारे घर से,
अपने माथे से हटा दो ये चमकता हुआ ताज,
फेंक दो जिस्म से किरणों का सुनहरा ज़ेवर,
तुम्हीं तन्हा मेरा ग़म-खाने में आ सकती हो,
एक मुद्दत से तुम्हारे ही लिए रखा है,
मेरे जलते हुए सीने का दहकता हुआ चाँद ।
  • Ali Sardar Zafri.
  • Jagjit Singh.