Main Chahta Bhi Yahi Tha Wo Bewafaa Nikale.
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले,
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले ।
किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा,
न जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले ।
किताब-ए-माज़ी की औराक़ उलट के देख ज़रा,
न जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले ।
जो देखने में बहुत ही करीब लगता है,
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासिला निकले ।
उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले ।
किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख ज़रा,
न जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले ।
किताब-ए-माज़ी की औराक़ उलट के देख ज़रा,
न जाने कौन सा सफ़हा मुड़ा हुआ निकले ।
जो देखने में बहुत ही करीब लगता है,
उसी के बारे में सोचो तो फ़ासिला निकले ।
- Waseem Barelvii.
- Jagjit Singh.