Socha Nahi Achha Bura Dekha Suna Kuch Bhi Nahi.
सोचा नहीं अच्छा-बुरा देखा-सुना कुछ भी नहीं,
मांगा खुदा से रात-दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।
देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे,
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी खता कुछ भी नहीं ।
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात-भर,
भेजा उन्हें कागज़ वो ही लिखा मगर कुछ भी नहीं ।
एक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक,
आँखों से की बातें बहुत मुंह से कहा कुछ भी नहीं ।
मांगा खुदा से रात-दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं ।
देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे,
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी खता कुछ भी नहीं ।
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात-भर,
भेजा उन्हें कागज़ वो ही लिखा मगर कुछ भी नहीं ।
एक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक,
आँखों से की बातें बहुत मुंह से कहा कुछ भी नहीं ।
- Bashir Badr.
- Chitra - Jagjit Singh.