Shaam Hone Ko Hai, Laal Suraj Samander Mein Khone Ko Hai. / शाम होने को है, लाल सूरज समंदर में खोने को है,
शाम होने को है,
लाल सूरज समंदर में खोने को है,
और उसके परे कुछ परिन्दे कतारें बनाये,
उन्हीं जंगलों को चले,
जिन के पेड़ो की शाखों पे है घौसले,
ये परिन्दे वहीं लौट कर जायेंगे,
और सो जायेंगे ।
हम ही हैरान हैं,
इस मकानों के जंगल में,
अपना कोई भी ठिकाना नहीं,
शाम होने को है, हम कहाँ जायेंगे ।
लाल सूरज समंदर में खोने को है,
और उसके परे कुछ परिन्दे कतारें बनाये,
उन्हीं जंगलों को चले,
जिन के पेड़ो की शाखों पे है घौसले,
ये परिन्दे वहीं लौट कर जायेंगे,
और सो जायेंगे ।
हम ही हैरान हैं,
इस मकानों के जंगल में,
अपना कोई भी ठिकाना नहीं,
शाम होने को है, हम कहाँ जायेंगे ।
- Javed Akhtar.
- Jagjit Singh.