Charagh-O-Aaftaab Gum Badi Haseen Raat Thi.
चराग़-ओ-आफ़ताब गुम बड़ी हसीन रात थी,
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
मुझे पिला रहे थे कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गई,
गिलास गुम शराब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
लिख़ा था जिस किताब में के इश्क़ तो हराम है,
हुई वही किताब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
लबों से लब जो मिल गये लबों से लब ही सिल गये,
सवाल गुम जवाब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
शबाब की नक़ाब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
मुझे पिला रहे थे कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गई,
गिलास गुम शराब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
लिख़ा था जिस किताब में के इश्क़ तो हराम है,
हुई वही किताब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
लबों से लब जो मिल गये लबों से लब ही सिल गये,
सवाल गुम जवाब गुम बड़ी हसीन रात थी ।
- Jagjit Singh.