Bhaj Hoon Re Man Shri Nand Nandan Abhay Charan.
भज हूँ रे मन श्री नंद नंदन,
अभय चरण अरविंद रे ।
दुर्लभ मानव जनम सतसंगे,
तर आये भव सिंध रे ।
शीत आ तप मात बरीशन,
एह दिन यामनी जाग रे ।
विफले से बिनु कृपण दुर्जन,
चपल सुख नव लाग रे ।
श्रवण र्कीतन स्मरण वंदन,
बाद से मन दास रे ।
पूजन सकी जन आत्म निवेदन,
गोविन्द दास अभिलाष रे ।
अभय चरण अरविंद रे ।
दुर्लभ मानव जनम सतसंगे,
तर आये भव सिंध रे ।
शीत आ तप मात बरीशन,
एह दिन यामनी जाग रे ।
विफले से बिनु कृपण दुर्जन,
चपल सुख नव लाग रे ।
श्रवण र्कीतन स्मरण वंदन,
बाद से मन दास रे ।
पूजन सकी जन आत्म निवेदन,
गोविन्द दास अभिलाष रे ।
- Jagjit Singh.