Bhaj Hoon Re Man Shri Nand Nandan Abhay Charan.

भज हूँ रे मन श्री नंद नंदन,
अभय चरण अरविंद रे ।

दुर्लभ मानव जनम सतसंगे,
तर आये भव सिंध रे

शीत आ तप मात बरीशन,
एह दिन यामनी जाग रे

विफले से बिनु कृपण दुर्जन,
चपल सुख नव लाग रे

श्रवण र्कीतन स्मरण वंदन,
बाद से मन दास रे

पूजन सकी जन आत्म निवेदन,
गोविन्द दास अभिलाष रे ।
  • Jagjit Singh.