Todkar Ahd-E-Karam Naashnaa Ho Jaayiye.
तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाईये,
बंदापरवर जाईये अच्छा ख़फ़ा हो जाईये ।
राह में मिलिये कभी मुझसे तो अज़राह-ए-सितम,
होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाईये ।
जी में आता है के उस शोख़-ए-तग़ाफ़ुल केश से,
अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाईये ।
हाये रे बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर,
उस सरापानाज़ से क्यूँकर ख़फ़ा हो जाईये ।
बंदापरवर जाईये अच्छा ख़फ़ा हो जाईये ।
राह में मिलिये कभी मुझसे तो अज़राह-ए-सितम,
होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाईये ।
जी में आता है के उस शोख़-ए-तग़ाफ़ुल केश से,
अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाईये ।
हाये रे बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर,
उस सरापानाज़ से क्यूँकर ख़फ़ा हो जाईये ।
- Jagjit Singh.
- Hasrat Mohani.