Ye Jo Ghar Aangan Hai Aisaa Aur Kahan Billu Bhaiya Ram.
ये जो घर आँगन है, ऐसा और कहाँ,
बिल्लू भय्या राम हमारे, देवी जैसी माँ है ।
माँ का आँचल सबसे पावन अपने सर की छाया,
मैंने पायी सारी दुनिया जबसे माँ को पाया,
हंसते गाते जीवन सबके खुशीयों में लहरायें,
जितने काँटे हो रस्ते के वो मुझे मिल जायें ।
मिलजुल कर हम यूँ ही हरपल दुख सुख बाँटे अपने,
एक ही रस्ता एक ही मंज़िल एक ही सबके सपने,
एक जनम क्या जनम जनम तक साथ रहे हम सारे,
इकदूजे का प्यार हमेशा मन में रहे हमारे ।
बिल्लू भय्या राम हमारे, देवी जैसी माँ है ।
माँ का आँचल सबसे पावन अपने सर की छाया,
मैंने पायी सारी दुनिया जबसे माँ को पाया,
हंसते गाते जीवन सबके खुशीयों में लहरायें,
जितने काँटे हो रस्ते के वो मुझे मिल जायें ।
मिलजुल कर हम यूँ ही हरपल दुख सुख बाँटे अपने,
एक ही रस्ता एक ही मंज़िल एक ही सबके सपने,
एक जनम क्या जनम जनम तक साथ रहे हम सारे,
इकदूजे का प्यार हमेशा मन में रहे हमारे ।
- Jagjit Singh.