Raat Aankhon Mein Dhali Palkon Pe Jugnu Aaye.
रात आँखों में ढली पलकों पे जुगनू आए,
हम हवाओं की तरह जा के उसे छू आए ।
बस गई है मेरे एहसास में ये कैसी महक,
कोई खुशबू मैं लगाऊँ तेरी खुशबू आए ।
उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया,
मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आँसू आए ।
मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ मागीं थी ,
कोई आहट ना हो मेरे दर पे जब तू आए ।
हम हवाओं की तरह जा के उसे छू आए ।
बस गई है मेरे एहसास में ये कैसी महक,
कोई खुशबू मैं लगाऊँ तेरी खुशबू आए ।
उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया,
मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आँसू आए ।
मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ मागीं थी ,
कोई आहट ना हो मेरे दर पे जब तू आए ।
- Bashir Badr.
- Jagjit Singh.