Nazar Uthao Zara Tum To Kainat Chale Hai Intezaar Ke Aankhon Se.
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो क़ाइनात चले,
है इंतज़ार कि आँखों से कोई बात चले ।
तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़त भी अपाहिज है,
न दिन खिसकता है आगे न आगे रात चले ।
न जाने उँगली छुड़ाकर निकल गया है किधर,
बहुत कहा था ज़माने से साथ साथ चले ।
किसी भिख़ारी का टूटा हुआ कटोरा है,
गले में ड़ाले उसे आसमाँ पे रात चले ।
है इंतज़ार कि आँखों से कोई बात चले ।
तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़त भी अपाहिज है,
न दिन खिसकता है आगे न आगे रात चले ।
न जाने उँगली छुड़ाकर निकल गया है किधर,
बहुत कहा था ज़माने से साथ साथ चले ।
किसी भिख़ारी का टूटा हुआ कटोरा है,
गले में ड़ाले उसे आसमाँ पे रात चले ।
- Gulzar.
- Jagjit Singh.