Jis Din Se Chala Hoon Kabhi Mudkar Nahin Dekha.
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़ कर नहीं देखा,
मैंने कोई गुज़रा हुआ मंज़र नहीं देखा ।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा ।
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा ।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा ।
मैंने कोई गुज़रा हुआ मंज़र नहीं देखा ।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा ।
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा ।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा ।
- Bashir Badr.
- Jagjit Singh.