Kahin Aisa Na Ho Daaman Jala Lo Hamare Aansoono Par.
कहीं ऐसा ना हो दामन जला लो,
हमारे आसूँओ पर ख़ाक ड़ालो ।
मनाना ही जरूरी है तो फिर तुम,
हमें सबसे खफ़ा होकर मना लो ।
बहुत रोई हुई लगती है आँखें,
मेरे ख़ातिर ज़रा काजल लगा लो ।
अकेलेपन से खौफ़ आता है मुझको,
कहाँ हो ऐ मेरे ख़्वाब-ओ-ख़यालो ।
बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुमसे,
कभी आकर मुझे हैरत में ड़ालो ।
हमारे आसूँओ पर ख़ाक ड़ालो ।
मनाना ही जरूरी है तो फिर तुम,
हमें सबसे खफ़ा होकर मना लो ।
बहुत रोई हुई लगती है आँखें,
मेरे ख़ातिर ज़रा काजल लगा लो ।
अकेलेपन से खौफ़ आता है मुझको,
कहाँ हो ऐ मेरे ख़्वाब-ओ-ख़यालो ।
बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुमसे,
कभी आकर मुझे हैरत में ड़ालो ।
- Liqayat Ali Azim.
- Jagjit Singh.