Jabse Hum Tabah Ho Gaye Tum Jahan Panah Ho Gaye.
जबसे हम तबाह हो गये,
तुम जहाँपनाह हो गये ।
हुस्न पर निख़ार आ गया,
आईने से आह हो गये ।
आन्धियों की कुछ ख़ता नहीं,
हम ही दर्द-ए-राह हो गये ।
दुश्मनों को चिट्ठीयाँ लिखो,
दोस्त ख़ैरबाह हो गये ।
तुम जहाँपनाह हो गये ।
हुस्न पर निख़ार आ गया,
आईने से आह हो गये ।
आन्धियों की कुछ ख़ता नहीं,
हम ही दर्द-ए-राह हो गये ।
दुश्मनों को चिट्ठीयाँ लिखो,
दोस्त ख़ैरबाह हो गये ।
- Bekal Utsahi.
- Chitra - Jagjit Singh.